Book Title: Karmastava
Author(s): Atmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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कोष.
गाथा अङ्क प्राकृत.
हिन्दी.
संस्कृत च
और.
४, ५, ६, ६)
अन्त
१५,१८,१६, अंत ०३,२४.
विच्छेद.
अन्तराय
२०-अंतराय
१८-अंतिम १०,२८,-अंस
२१-अगुठलहु १०,३२,-गुरुलहुचा
अन्तरायकर्म. अन्तिम अन्त का-बाखरी. अंश भाग---हिस्सा. प्रगुरुलघु अगुरुसघुनामकर्म. अगुरुलधुचतुष्क अरुलघुनाम, उपघातनाम,
पराधातनाम और उच्वास
गामक्रम. प्रयत अविरतसम्यग्दृष्टिगु०पृ०१२ अयशः अयश कीर्तिनामकर्म. श्रयोगिन् योगियोवलिगु० पृ० २६ अयोगिगुण , अप्टंन् घटापन्चाशत् अट्ठावन,
१५-अजय
७-एजस २२,२४,३१-प्रजोगि
२-- अजोगिगुण १७,३१-श्रह
८-अहाण्या
श्राठ.

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