Book Title: Karmastava
Author(s): Atmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 118
________________ १४८ उत्तरप्रकृतियों के बन्ध, उदय, उदीरणा . और सत्ताको गुणस्थान-दर्शक यन्त्र ... - क्रमसे. १४८ उत्तरप्रकृतियों __.. - के नाम .. m वन्धयोग्य गुणस्थान उदययोग्य गुणस्थान:: . उदीरणायोग्य |गुणस्थान. सत्तायोग्य..... गुमास्थान. - ا ن m160 ..com नंबर WW १० ن शानावरणोय-५ मतिज्ञानावरणीय २. श्रुतज्ञानावरणीय १० ३ अवधिज्ञानावरणीय : १० ४. मन:पर्यवज्ञाना केवलज्ञाना० ... दर्शनावरणीयचक्षुर्दशनावरणीय चतुर्दशना० अवधिदर्शना० केवलदर्शना० . | निद्रा 1.१२ 1. समय १२ . १२... १. समय न्यून-१२. न्यून-१२ ११. निद्रोनिद्रा १२. प्रचला ........ १. समय समय स.१२ समय: युन-१२ १३. प्रचलाप्रचला. १४ स्त्यानर्द्धि': .... 8 इस में ७ को पूरा अक और को एक सप्तमांश, अर्थात ५ गुणस्थान और पाठ के सात हिस्सों में से एक हिस्सा समझना । इस ..प्रकार दूसरे अङ्कों में भी समझ लेना .... . : ....

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