Book Title: Karmashala Parikalan
Author(s): Gurubachansingh Narang
Publisher: Hariyana Sahitya Academy Chandigarh

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ कर्मशाला परिकलन/3 अध्याय-1 संख्याएँ और प्रारम्भिक अंकगणित कार्य संख्याएं: हम अपने दैनिक जीवन में चीजों को गिनने के लिए संख्याओं का प्रयोग करते हैं। क्रियात्मक समस्याओं को हल करने के लिए संख्याएँ प्रयोग की जाती हैं : निम्नलिखित पद समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। (क) पूर्ण संख्या 1, 2, 3, 4 इत्यादि (ख) भिन्न : एक भिन्न एक पूर्ण मात्रा का एक भाग है जो कि साधारण रूप में जैसे कि जहां क तथा ख । पूर्ण संख्याएँ हैं। क अंश ख हर उदाहरण: ख भिन्न = वा भाग 1वां भाग Fig.? Fig. 1 चित्र-1 चित्र-2 चिन्न एक में एक वृताकार भाग 4 बराबर भागों में बंटा हुआ है : एक भाग वृताकार का एक चौथाई है। इसी तरह चित्र-2 में एक भाग बराबर है है नोट: यदि हम भिन्न या भाग के साथ काम करें तो यह एक का हिस्सा है। (ग) दशमलव : एक दशमलव भिन्न वह भिन्न है जो कि 10;100; 1000; या कुछ दूसरे 10 के गुणात्मक, भिन्न के हर, प्रायः प्रदर्शित नहीं, परन्तु एक बिन्दु के माध्यम से अंश के बायीं ओर संकेतिक किया जाता है। लिखने में दशमलव, एक शून्य प्रायः दशमलव बिन्दु के बायीं ओर रखा जाता है। जब कोई पूर्ण संख्या न हो। उदाहरण : ___0.9-9 9 का दशवां भाग पढ़ा जाएगा।

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 149