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कर्मशाला परिकलन/64
4.4 वह समान्तर चर्तुभुज जिस की चारों भुजाएं बराबर
हों रोम्बस कहलाती है । रोम्बस में य ल-य ब
4.5 समलम्ब चर्तुभुज चार भुजाओं वाली एक ऐसी
आकृति है जिसमें दो विपरीत भजाएं समान्तर होती हैं अ ब स य एक समलम्ब चर्तुभुज है अब
॥ य सहोता है। 4.6 किसी भी आकृति में चार भुजाओं के बाहरी कोणों का जोड़ 360°होता है।
a+B+l+V= 360
5. वृत की विशेषताएं
5.1 वृत बिन्दुओं का एक वह समह है जो कि एक स्थिर बिन्दु जिसे केन्द्र कहते हैं से समान दूरी पर स्थित
होती है।
-चाप
वृत के महत्वपूर्ण भाग साथ वाली आकृति में बताये गये हैं।
SE. सेगमेन्ट जीया -
संक्टर
व्यास
খিয।
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5.2 जब एक त्रिज्या किसी जीवा को समकोण पर काटती
है यह जीवा को समद्विभाजित करती है और जीवा कोण दो भागों में परिवर्तित हो जाती है विज्या पस जीवा अ ब समकोण य पर समद्विभाजित करती है।
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5.3 (क) वृत का टेनजेन्ट त्रिज्या पर लम्ब है। अब
टेनजेन्ट वृत को ब पर छूता है और पब एक त्रिज्या है।
Lपब अ-90° (ख) वृत में दो टेनजेन्ट एक ही बिन्दु से खींचना ।
(i) समान है अ ब अ स (ii) रेखा अप से समान कोण बनाओ, कोण
a बराबर है और (iii) A पब अ और A प स अ सभी
दशाओं में आपस में मिलती है।
6. समबाहु बाहुभुज :
बहभुज एक ऐसी आकृति है जो कि 4 या ज्यादा सरल रेखाओं से घिरी हो। यदि इसकी सभी भजाएं तथा कोण बराबर हों तो इसे रेगुलर कहते हैं ।