Book Title: Karmashala Parikalan
Author(s): Gurubachansingh Narang
Publisher: Hariyana Sahitya Academy Chandigarh

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Page 122
________________ उदाहरण- 1 : कर्मशाला परिकलन / 115 ग्रुप- 11 ढलाई के कारखाने का विषय किसी गुबंद का आंतरिक व्यास ज्ञात करो । जो कि घुल जाता है 6 टन प्रति घण्टा । मान लो कि 5 कि० ग्रा० लोहा मिलता है । प्रति वर्ग सेंटीमीटर में पिघलाया जा सकता है । अध्याय 14 कर्मशाला परिकलन से संबंधित प्रश्न उदाहरण-3 : 6 टन प्रति घण्टा - 6 x 1000 6000 कि. ग्रा / घण्टा गुबंद का क्षेत्रफल - 0000 1200 सेंटीमीटर वर्ग 1200 .. गुबंद का आंतरिक व्यास - Vo.433444 सें. मी. उत्तर (=0.7854) उदाहरण - 2: किसी गुबंद की 6 टन / घण्टा की क्षमता में प्रति मिनट वायु का कितना आयतन आवश्यक होता है, यदि यह 10: 1 की अनुपात से काम करता है ? ( मान लो कि 1 कि. ग्रा. काष्ठ चाहिए 9 घन मीटर वायु की दहनशीलता के लिए) 6 टन / घंटा - 6 X 1000 6000 कि. ग्रा./घंटा 100कि. ग्रा./ मिनट एक धातु की 100 = यह हमें दिया हुआ है कि काष्ट 10: 1 की अनुपात में है । इसलिए जितना काष्ठ चाहिए उसकी रकम = 10 कि.ग्रा./ मिनट प्रत्येक कि. ग्रा. काष्ठ चाहिये 9 मीटर वायु की दहनशीलता के लिए 10 कि. ग्रा. काष्ठ चाहिये 9 x 10 = 99 मीटर वायु इसलिए 90 मीटर / मिनट चाहिए उत्तर एक ठोस पैटन का भार 2.5 कि. ग्रा. है ढ़ली हुई धातु की स्पीसीफिक ग्रेविटी पैट्रन की लकड़ी से 20 गुणा है । ढले हुए पुर्जे का क्या भार होगा। यदि एक सुराख उस के अन्दर बना दिया जाए। 4 सेंटीमीटर व्यास से केन्द्र में और 8 सेंटीमीटर लम्बाई 2 सेंटीमीटर जो कि केन्द्र बनाता है 1 ( मान लो कि धातु का आपेक्षित घनत्व 8 ग्रा./सेंटीमीटर है) ढले हुए पुर्जे का भार 2.5 कि. ग्रा. x 12-30 कि.ग्रा.

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