Book Title: Kalashamrut Part 4
Author(s): Kanjiswami
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
View full book text
________________
૫૩૩
શ્રી નાટક સમયસારના પદો
શ્રી વાઢક સમયસર
આસ્રવ અધિકાર
प्रतिशत (Easa) पाप पुनकी एकता, वरनी अगम अनूप। अब आस्रव अधिकार कछु, कहौं अध्यातम रूप।।१।।
(सश-१-८७)
સમ્યજ્ઞાનને નમસ્કાર. (સવૈયા એકત્રીસા) जेते जगवासी जीव थावर जंगमरूप,
तेते निज बस करि राखे बल तोरिकैं। महा अभिमानी ऐसौ आस्रव अगाध जोधा,
रोपि रन-थंभ ठाडौ भयौ मूछ मोरिक।। आयौ तिहि थानक अचानक परम धाम,
___ग्यान नाम सुभट सवायौ बल फोरिकैं। आस्रव पछास्यौ रन-थंभ तोरि डास्यौ ताहि, निरखि बनारसी नमत कर जोरिक।।२।।
(लश-२-८८)
દ્રવ્યાસવ, ભાવાસવ અને સમ્યજ્ઞાનનું લક્ષણ (સવૈયા તેવીસા) दर्वित आस्रव सो कहिए जहं,
पुग्गल जीवप्रदेस गरासै। भावित आस्रव सो कहिए जहं,
राग विरोध विमोह विकास।। सम्यक पद्धति सो कहिए जहं,
दर्वित भावित आस्रव नासै। ग्यान कला प्रगटै तिहि थानक, अंतर बाहिर और न भासै।।३।।
(सश-3-९८)

Page Navigation
1 ... 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572