Book Title: Kalashamrut Part 4
Author(s): Kanjiswami
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
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શ્રી નાટક સમયસારના પદો
મોક્ષનું મૂળ ભેદવિજ્ઞાન છે. (છપ્પા છંદ ) प्रगटि भेद विग्यान, आपगुन परगुन जानै । पर परनति परित्याग, सुद्ध अनुभौ थिति ठानै ।। करि अनुभौ अभ्यास, सहज संवर परगासै। आस्रव द्वार निरोधि, करमघन - तिमिर विनासै।। छय करि विभाव समभाव भजि,
निरविकलप निज पद गहै।
निर्मल विसुद्धि सासुत सुथिर,
परम अतींद्रिय सुख लहै ।। ११ ।।
( ऽलश-११-१२२ )
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