Book Title: Kahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Vanki Jain Tirth

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Page 5
________________ of DO ___ कहे कलापूर्णसूरि०१ (सिद्धयोगी पू. आचार्यश्री की साधनापूत वाणी) (अषा. वद ६/७, दिनांक ५-७-१९९९, सोमवार से मार्ग. वद १/२, दिनांक २४-११-१९९९, बुधवार तक, वांकी तीर्थ, कच्छ, वि. सं. २०५५-५६) वाचना पू.आ.श्री विजयकलापूर्णसूरीश्वरजी म.सा. प्रेरणा - मधुरभाषी पू. आचार्यश्री विजयकलाप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पू.पं.श्री कल्पतरुविजयजी म.सा. पू.पं.श्री कीर्तिचन्द्रविजयजी म.सा. - अवतरण - सम्पादन पंन्यास मुक्तिचन्द्रविजय गणि मुनिचन्द्रविजय 10 हस्तिमजी नथमजी (74111) - प्रकाशक श्री वांकी जैन तीर्थ P.O. वांकी, ता. मुन्द्रा, जी. कच्छ, Pin : 370 425. Phone : (02838) 78284 • Fax : 78240

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