________________
अनुत्तरोपपातिकदशासूत्र
2211 इसी प्रकार सभी जीवों को अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर उन्मुख होना चाहिए। मंजिल प्राप्ति में चाहे कितने ही कष्ट आएँ, किन्तु उनसे विचलित न होकर सदैव बढ़ते रहना चाहिए। ४. जालिकुमार आदि ३३ साधकों द्वारा ११ अंगों का ग्रहण विनयपूर्वक किया गया। विनयपूर्वक अध्ययन किया हुआ ही सफल हो सकता है। विनययुक्त ज्ञान से परिपूर्ण आत्मा ही अन्य आत्माओं का उद्धार करने में समर्थ हो सकती है। अत: 'विणओ धम्ममूलं' कहा गया।
इस प्रकार अनुत्तरौपपातिक सूत्र में ३३ महापुरुषों का परिचय दिया गया है। यह वर्णन प्राचीन समय की सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक स्थिति को प्रकट करता है। अतएव ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह महत्त्वपूर्ण है।
__ -शोध छात्रा, संस्कृत-विभाग जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org