Book Title: Jinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 489
________________ जिनवाणी- जैनागम-साहित्य विशेषाङ्क २०. २१. २५. २८. २९. -तंदुलवेयालियपइण्णय,८१पृ. ३३ चंदावेज्झयं पइण्णयं (सम्पा.) सुरेश सिसोदिया, आगम संस्थान ग्रन्थमाला, ६, उदयपुर १९९१ --- वही-, प्रस्तावना पृष्ठ २२ से ३५ .. . - वही--, प्रस्तावना गाथा ११७ से ११९ - वही-, प्रस्तावना गाथा १२९ से १३० गणिविज्जापइण्णय (सम्पा.) सुभाष कोठारी, आगम संस्थान ग्रन्थमाला १०, उदयपुर १९९४ . . नंदिसुत्तं, प्राकृत टैक्स्ट सोसायटी, अहमदाबाद, पृ. ५८ गणिविज्जापइण्णयं, भूमिका पृ. २२-२७ 'मरणं पाणपरिच्चागो, विभयणं – विभत्ती, पसत्थमपसत्थाणि सभेदानि मरणाणि जत्थ वणिज्जति अज्झयणे तमज्झयणं मरण विभत्ती' नंदिसूत्रचूर्णि, पृ.५८ गणिविज्जापइण्णयं, आगम संस्थान, उदयपुर, भूमिका पृ. ४ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर १९७७, पृ. ३८८ पइण्णयसुत्ताई, भाग १, प्रस्तावना, पृ. ४०-४१ आउरपच्चक्खाणं, पइण्णयसुत्ताई, भाग १,- प्रस्तावना, पृ. ३२९ आदि महापच्चक्खाण, पइण्णयसुत्ताई, भाग १,- प्रस्तावना, पृ.१६४ आदि पत्तेयबुद्धमिसिणो वीसं तित्थे अरिट्ठणेमिस्स। पासस्स य पण्णरस वीरस्स विलीणमोहस्स।। इसिभासियाइं– पइण्णयसुत्ताई, भाग १, पृ. १७९ इसिभासियाइं-पइण्णयसुत्ताई, भाग १, पृ.१८१-२५६ . इसिभासियाई-पइण्णयसुत्ताई, भाग १, पृ.१८१-१९० पइण्णयसुत्ताई भाग १, प्रस्तावना, पृ. ४५ (अ) पइण्णयसुत्ताई भाग १, प्रस्तावना, पृ. ५३ (ब) दीवसागरपण्णत्तिपइण्णयं (सम्पा.) सुरेश सिसोदिया, आगम संस्थान, ग्रन्थमाला, ८, उदयपुर १९९३ - वही-, गाथा, २२४-२२५, पृ० ४६. वीरत्थओ पइण्णय (सम्पा.) सुभाष कोठारी, आगम संस्थान ग्रन्थमाला १२, उदयपर १९९५. -निदेशक, कोटा खुला विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय केन्द्र, उदयपुर 470. ओ.टी.सी.स्कीम, उदयपुर (राज.) ३० ३१. ३३. ३४. ३८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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