Book Title: Jinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 523
________________ 1508 जिनवाणी- जैनागम-साहित्य विशेषाङक आरोहण करके केवलज्ञानी होकर मोक्ष लाभ करता है उसका पण्डित पण्डित मरण है। उसकी सब विधि कही है कि किस गुणस्थान में किन प्रकृतियों का क्षय करता है। केवलज्ञानी होने पर क्या-क्या करता है, आदि। अन्त में कहा है कि समस्त आराधना का कथन श्रुतकेवली भी करने में असमर्थ हैं। उक्त विषयपरिचय से यह स्पष्ट हो जाता है कि इस ग्रन्थ का नाम आराधना क्यों रखा गया और क्यों उसके साथ भगवती जैसा आदरसूचक विशेषण लगाया गया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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