Book Title: Jinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 540
________________ 525] १७ अप्रैल को कतिपय चातुमासों की स्वीकृति रत्नवंश के अष्टम पट्टधर परम श्रद्धेय आचार्यप्रवर के श्रीचरणों में चातुर्मास की निरन्तर विनतियां चल रही हैं। श्रीसंघों की भावना का समादर करते हुए आचार्यप्रवर ने १७ अप्रेल, २००२ को कतिपय चातुर्मास स्वीकार करने का मानस बनाया है और अपने मुखारविन्द से चैत्र शुक्ला द्वि. चतुर्थी बुधवार, दिनांक १७ अप्रैल २००२ को कतिपय चातुर्मास स्वीकार करने की बात भी फरमाई है। इस अवसर पर घोटी या उसके आसपास विराजने की संभावना प्रतीत होती है। अक्षय तृतीया मुम्बई या पणे में सम्भावित तप और दान के विशिष्ट पर्व अक्षय तृतीया पर १५ मई २००२ को आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्र जी म.सा. आदि ठाणा मुम्बई महानगर के किसी उपनगर या ठाणे में विराजें, ऐसी संभावना है। संघ-संरक्षक मण्डल के संयोजक माननीय श्री मोफतराज जी मुणोत ने सभी तप.साधकों एवं नवीन त्याग तप अंगीकार करने वालों से अक्षय तृतीया पर मुम्बई पधारने के कार्यक्रम की सूचना (जिसमें कौनसी गाड़ी से कहां उतर रहे हैं, कितने सदस्य हैं) करने पर मुम्बई रेलवे स्टेशन से आचार्यप्रवर की सेवा में ले जाने की व्यवस्था करने की बात स्पष्ट की है। अतः तप-साधकों एवं नवीन व्रत.प्रत्याख्यान अंगीकार करने वालों से निवेदन है कि आप अपने कार्यक्रम की जानकारी निम्न पते पर आवश्यक रूप से देने का कष्ट करें--श्रीयुत मोफतराज जी मुणोत, संयोजक- संरक्षक मण्डल, "मुणोत विला' वेस्ट कम्पाऊण्ड लेन, 63-भूला भाई देसाई रोड़, मुम्बई400026(महा.) फोन नं. कार्यालय- 022-2822888, 2822679 निवास022-3648004. 3625205, फैक्स नं. कार्यालय- 2041548 निवास- 3648419 विचरण विहार की संभावित दिशाएं * परम श्रद्धेय आचार्यप्रवर पूज्य श्री १००८ श्री हीराचन्द्र जी म.सा., परम श्रद्धेय उपाध्याय पं. रत्न श्री मानचन्द्र जी म.सा. आदि संत-मुनिराजों के नासिक क्षेत्र एवं तदनन्तर घोटी-इगतपुरी क्षेत्र की ओर विहार की संभावना है। नासिक रोड में फाल्गुनी चौमासी पर आचार्यप्रवर एवं उपाध्यायप्रवर आदि ठाणा १० का मधुर मिलन हुआ। * मधुर व्याख्यानी श्री गौतममुनि जी म.सा., तपस्वी श्री प्रकाशमुनि जी म. सा. ठाणा २ ने भोपालगढ़ से विहार कर दिया है। फाल्गुनी चातुर्मासिक पक्खी पूर्व पालासनी पधारे। अब पाली की ओर विहार संभावित है। * साध्वीप्रमुखा प्रवर्तिनी महासती श्री लाडकंवर जी म.सा. आदि ठाणा पावटा तथा सरलहदया महासती श्री सायरकंवर जी म.सा., शासनप्रभाविका महासती श्री मैनासुन्दरीजी म.सा. आदि ठाणा घोड़ों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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