Book Title: Jinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 537
________________ समाचार-दर्शन देश गुजरात में हिंसा का वातावरण __ धर्म का हठाग्रह एवं अविवेकयुक्त कार्य साम्प्रदायिक हिंसा का रूप ले लेते हैं, इसका उदाहरण है गुजरात में उत्पन्न हिंसा का वातावरण। २७ फरवरी २००२ को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की चार बोगियों में आग लगने से हुई लगभग ३०० निर्दोष व्यक्तियों की हिंसा के बाद गुजरात में प्रतिक्रिया स्वरूप हिंसा भड़क उठी। उसके पश्चात् अहमदाबाद, बड़ोदरा, भरूच आदि में फैले आक्रोश से सैंकड़ों की जाने गई। कई घायल हो गए। हिंसा का यह रूप तीन-चार दिनों में शांत हुआ ही था, उसके पश्चात् एक कांग्रेसी सांसद के भतीजे की हत्या हो जाने से पुन: हिंसा प्रकट हुई, जिसकी छुटपुट प्रतिक्रिया अभी भी देखी जा रही है। धर्म तो परस्पर मैत्री एवं सहयोग का पाठ पढ़ाता है, फिर यह हिंसा क्यों? हिंसा को त्यागकर पारस्परिक मेलजोल रखने में ही सबका हित है। समाजा-सामाचार पीपाड में चार मुमक्ष बहिनों की भागवती दीक्षा सम्पन्न रत्नवंश के अष्टम पट्टधर आगमज्ञ आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्र जी म. सा. की आज्ञा से पीपाड़ (जिला- जोधपुर) में मधुर व्याख्यानी श्री गौतममुनि जी म.सा., तपस्वी श्री प्रकाशमुनि जी म.सा., शान्तस्वभावी तपस्विनी महासती श्री शांतिकँवर जी म.सा., व्याख्यात्री महासती श्री सोहनकँवर जी म.सा., महासती श्री सुश्रीप्रभा जी म.सा., व्याख्यात्री महासती श्री मुक्तिप्रभा जी म.सा. आदि ठाणा १६ के पावन-सान्निध्य में माघ शुक्ला त्रयोदशी २५ फरवरी २००२ को चार मुमुक्षु बहिनों ने जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की। दीक्षा अंगीकार करने वाली बहनें हैं- सुश्री सुशीला लुणावत (सुपुत्री ज्ञानचन्द जी चंचलदेवी जी लुणावत, पीपाड़), सुश्री अनिता जैन (सुपुत्री श्री बंशीलाल जी शांतिदेवी जी, अलीगढ़ टोंक), सुश्री समता लुणावत (सुपुत्री श्री शान्तिलाल जी श्रीमती लीलादेवी जी, पीपाड़) और सुश्री डिम्पल जैन (सुपुत्री स्व. श्री पुखराज जी श्रीमती शांतिदेवी जी, बिराई)। भागवती दीक्षा का पाठ मधुरव्याख्यानी श्री गौतममुनि जी म.सा. ने प्रात: ८:१५ बजे प्रारम्भ किया। मुनि श्री ने आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्र जी म.सा. से प्राप्त संदेश का भी वाचन किया। मुनिश्री ने संक्षिप्त उद्बोधन के साथ चारों मुमुक्षु बहनों को ‘करेमि भंते' के पाठ से दीक्षित किया। इसके पूर्व मुमुक्षु बहनों को दीक्षित करने हेतु माता-पिता, पारिवारिक-जन, संघाध्यक्ष सहित संघ-पदाधिकारियों, संघ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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