________________
श्री शीतलनाथ जिन पूजन
स्थापना
गीता छंद जय-जय विदेही आप जिनवर, पुष्पदंत जिनेश्वरम्। श्री सुविधिनाथ जिनेश जय-जय, जय भवोदधि तारणम्।। मैं करूँ निर्मल भाव पूजन, ज्ञान सूर्य प्रकाशकम्।
मम आतमा में आ पधारो, हे मेरे परमेश्वरम्।।1।। ऊँ ह्रीं श्रीसुविधिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्।
___ ऊँ ह्रीं श्रीसुविधिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ऊँ ह्रीं श्रीसुविधिनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
द्रव्यार्पण
आडिल्ल छंद जन्म जरा मृत्यु से मैं भयभीत हूँ।
काल अनंता से तृष्णा में लिप्त हूँ।। सुविधिनाथ जिनराज शरण में आ गया।
करुणासागर दयासिंधु मन भा गया।।1। ऊँ ह्रीं श्रीसुविधिनाथजिनेन्द्राय जन्म जरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
तन की तपन मिटाने वाला है चंदन। भवाताप का नाश कराता जिन वंदन।। सुविधिनाथ जिनराज शरण में आ गया।
करुणासागर दयासिंधु मन भा गया।।2।। ऊँ ह्रीं श्रीसुविधिनाथजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।
67