Book Title: Jin Pujan
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
श्री महावीर जिन पूजन
स्थापना
नरेन्द्र छंद
महावीर प्रभु दर्श दिखाना, दर्शन करने आया। हृदय विराजो अतिवीर प्रभो, पूजनकरने आया।। चरण शरण में अरजी लाया, निज सम मुझे बनाना। प्रभु कृपा कर कष्ट मिटाकर, सरे बंध छुड़ाना ॥ 1 ॥ शक्ति नहीं है मुझमें भगवन्, अनंत शक्ती देना। तव गुणगण जान सकूँ प्रभु, इतनी भक्ती देना।। शत्रु नाश प्रभु नाम आपका ध्याऊँ। ज्ञान वेदी पर वीर प्रभु को, सविनय आज बिठाऊँ ||2||
ऊँ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्।
ऊँ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्।
ऊँ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
द्रव्यार्पण
तर्ज -माता तू दया करके....
श्रद्धा की वापी से, भक्ति जल भर लाय। समकित कलश लेकर, प्रभु चरण शरण आया।। आनंद रस छलका दो, जग दाह मिटे स्वामी । प्रभु वीर दरश देना, शरणा दो अभिरामी ॥1॥ ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय जन्म जरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
179

Page Navigation
1 ... 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188