Book Title: Jainism Course Part 01
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ માતંગ-સિટિઝપરિપત્ર તાસ #વમાનીમને. નમ: શ્રી ત્રિકમ પ્રેમ-ભુવનમાન-નયને ધર્મ નિત.- નય-શેઢરસૂરીશ્વમે નમ: विदुषी सhिan Arya ! सादर अनुवन्ना- सुख-शा ... તીન સાઈ - ૬ ઢિમા ને વ્યાપ્ત ગેનિઝમ ર્સ પા કેનો' નીવન મે સખ્યત્ર સાન ફર્વ સમયમા જો વર્ધમાન 4ના મે' सुस होस मालू परमात्मा से प्रार्थना... पाकों से अनुरोध कि वे ६२ कोर्स के अध्ययन में, पुननि में तn 4सा में नियमित बसे... प्रभा को ५२३५१ ज बने.. प्रभु ने A-23 मोना +.. इस कोर्स से प्राप्त नको जीवन में सकियर सो आये.... - आ414 अप्रयशेवर-भूरि. उसोय विनमवर्ती विजामीनी मणिप्रभाभीजी आदि सुखकाला yew आपनाना संस्कार वक्र निज्म का जो कोर्म प्रकाभिात किया जा रहा है उसके पति रभारी शर्दिक शुभकामनाये। वर्तमान युग में बाल युवा वर्ग अयोग्य आमरणाओं को अपनाकरमानव भव को हार र एसे समय में संस्कार वकि साहित्य की आवश्यकता है। मह साहित्य बाल युवा वर्गी भार्ग कि बने/ मही शुभाभिलाषा जमाना धरना

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 232