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आचारांग सूची
१७ क- पृथ्वीकाय की हिंसा का फल
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१८ क
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सूत्र संख्या ५
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तृतीय अप्काय उद्देशक अहिंसा
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२०
२१
२२
२३
अप्काय में जीवों का अस्तित्व
२४ - अष्कायिक हिंसा से विरत मुनि
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श्रद्धा से मुक्ति
संयम
11
अकाय परिज्ञा
माया न करने वाला ही अनगार है
श्रद्धा - संयम
11
11
का हिंसक अन्य अनेक जीवों का हिंसक
की वेदना - अंधे का उदाहरण
33
मूर्च्छित का उदाहरण
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के हिंसक को वेदना का अज्ञान
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के अहिंसक को वेदना का ज्ञान
की हिंसा से विरत होने का उपदेश की परिज्ञा वाला ही मुनि होता है
के फल का ज्ञाता
11
श्रु ०१, अ०१, उ० ३ सू०२५
11
11
अविरत द्रव्यलिंगो
की परीज्ञा
के हेतु
का फल
के फल का ज्ञाता
छ
ज- अप्काय के आश्रित अनेक जीव
अष्कायिक जीवों का स्वरूप
"
जीवोंका हिंसक अन्य अनेक जीवों का हिंसक
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