Book Title: Jain Vidya evam Prakrit
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 14
________________ ( ओ ) प्राकृत, भारतीय भाषाएँ और साहित्य २६. Date of Second Middle Indo-Aryan A Fresh Chronological Estimate Dr. Satya Swarup Misra २२१-२२४ 90. Assimilation of conjunct consonants in Prakrit and Greek ___Dr. (Mrs.) Haripriya Misra २२५-२२८ २८. The Prakrt: A Review Dr. Shashi Kant २२९-२३५ २९. The Prakrta in Karnataka Dr. M. D. Vasantharaja २३६-२३९ ३०. सांस्कृतिक संकट के बीच प्राकृत प्रो० जगन्नाथ उपाध्याय २४०-२५० ३१. पालि और प्राकृत ___ डॉ. ब्रह्मदेव नारायण शर्मा २५१-२५६ ३२. प्राकृत भाषा : एक अविच्छिन्न धारा ___ डॉ. कमलेश कुमार जैन २५७-२६२ ३३. वैदिक भाषा में प्राकृत के तत्त्व ____डॉ० प्रेमसुमन जैन, डॉ० उदयचन्द्र जैन २६३-२८३ ३४. प्राकृत तथा अन्य भारतीय भाषाएँ डॉ० प्रेमसुमन जैन २८४-३०० ३५. आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास और प्राकृत तथा अपभ्रंश डॉ. देवेन्द्र कुमार जैन ३०१-३०७ ३६. अपभ्रंश एवं हिन्दी जैन साहित्य में शोध के नये क्षेत्र डॉ० कस्तूरचन्द कासलीवाल ३०८-३१६ ३७. अपभ्रंश और हिन्दी में जैनविद्या विषयक अनुसन्धान की संभावनाएँ डॉ० योगेन्द्रनाथ शर्मा 'अरुण' ३१७-३२४ परिशिष्ट १. प्राकृत एवं जैनागम विभाग । ३२५-३२७ २. जैनविद्या एवं प्राकृत : राष्ट्रीय संगोष्ठी १९८१ । ३२८-३३२ ३. संगोष्ठी एवं परिचर्चा में सम्मिलित विद्वान् । परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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