Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 46
________________ [ ४२ ] नवादा स्टेशन (पूर्वीय रेलवे) को जाना चाहिए जहां से नाथनगर 1 या भागलपुर का टिकट लेना चाहिये । नाथनगर स्टेशन से प्राधामील दूर धर्मशाला में ठहरे। यह प्राचीन चम्पापुर नगर हैं, जहां तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामींके पाँचों कल्याणक हुए थे । यहीं प्रख्यात हरिवंश की स्थापना हुई थी, यही नगर गंगा तट पर बसा हुआ था, जहां धर्मघोष मुनि ने समाधिमरण किया था । गंगा नदी के एक नाले पर जिनका नाम चम्पानाला है, एक प्राचीन जिनमंदिर दर्शनीय है । नाथनगर के निकट तीन मदिर दि० जैनियों के हैं । यह सिद्धक्षेत्र है । यहां से पद्मरथ, अचल, प्रशोक आदि अनेक मुनि मुक्त हुए थे। भागलपुर नाथनगर से ३ मील भागलपुर शहर में कोतवाली के पास जिनमंदिर और जैन मंदिर धर्मशाला हैं । भागलपुरी में टसरी कपड़ा अच्छा मिलता है। यहां से बस या ट्रेन द्वारा मंदारगिरि को जावें । मंदारगिरि | गांव में एक धर्मशाला व मन्दिर हैं। यहां भे १ मील दूर मंदारगिरि पर्वत है । श्री वासुपूज्य भगवान का तन और मोक्षकल्याणक स्थान यही है । पर्वत पर दो प्राचीन शिखरबन्द मंदिर हैं। स्थान रमणीक है ! वापस भागलपुर आकर गया का टिकट लेवें । गया ( कुलुहा पहाड़ ) स्टेशन से डेढ़ मील दूर जैन भवन ( धर्मशाला) में ठहरे । यह बौद्धों और हिन्दुनों का तीर्थ है। दो जिनमंदिर भी हैं। यहां

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