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[८०] अहमदाबाद जावे।
अहमदाबाद अहमदाबाद गुजरात प्रान्त का खास शहर है। प्राचीन काल से जैन केन्द्र रहा है। पहले वह असावल कहलाता था, परन्तु अहमदशाह (सन् १४४२ ई.) ने उसे नये सिरे से बसाया और उनका नाम अहमदाबाद रक्खा । स्टेशन से डेढ़ मील दूर चौक बाजार में त्रिपोल दरवाजे के पास स्व० सेठ मागिकचन्द्र जी द्वारा स्थापित प्रसिद्ध प्रे० दि० जैन बोर्डिंग हाउस है। यहीं एक दि० जैन धर्मशाला व दो प्राचीन दि. जैन मंदिर हैं। माणिक चौक मांडवी पोल में भी दो मंदिर प्राचीन हैं। एक चैत्यालय स्टेशन के पास है। श्री हठीसिंह जी का श्वेताम्बरीय मंदिर दर्शनीय शिल्प का बना है। उसे सिद्धाचल की यात्रा से लौटने पर श्री हठीसिंह ने दिल्ली दरवाजे पर सं० १९०३ में बनवाया था। इस विशाल मंदिर के चहुँ ओर ५१ चैत्यालय बने हुए हैं। अहमदाबाद में लैस-कपड़ा आदि बहुत बनता है यहाँ के देखने योग्य स्थान देख कर पालीताना जाना चाहिए। विरमगांव और मिहोर में गाड़ी बदलती है।
- पालीताना-शत्रुन्जय . पालीताना स्टेशन से करीब एक मील दूर नदी के पास धर्मशाला है । शहर में एक अर्वाचीन दि० जैन मंदिर अच्छा बना हुआ है। मूलनायक श्री शान्तिनाथ जी की प्रतिमा सं० १९५१ को बनी है। पहाड़ पर दो दि० जैन मंदिर थे, परन्तु छोटा मंदिर प्रब श्वेताम्बर भाईयों के अधिकार में है। यहाँ श्वेताम्बरीय जैली, उनके मंदिर और संस्थायें अत्यधिक हैं। एक स्वे. मागम मंदिर लाखों रुपये खर्च करके बनवाया गया है, जिसमें श्वे. मागमसूत्र पाषाण पर अङ्कित कराये गये हैं। शहर से पहाड़ ३५ मील है,