Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 117
________________ [११३] मान्यता है। मुख्य मन्दिर के अलावा ब्र० कृष्णाबाई का मन्दिर शान्ति वीरनगर के मन्दिर और ब्र० कमलाबाई का चैत्यालय हैं। यात्रियों के ठहरने के लिए यहां कई धर्मशालायें हैं। सवाई माधोपुर (चमत्कार जी) ... महावीर जी से सवाई माधोपुर जावे। यहां पर सात शिखरबन्द दि जैन मन्दिर और चैत्यालय हैं । यहां से करीब १२ मील की दूरी पर रणथंभोर का प्रसिद्ध किला है, जिस के अन्दर एक प्राचीन जैन मंदिर है। उसमें मूलनायक चन्द्रप्रभु भगवान की प्रतिमा मनोज्ञ और दर्शनीय है। सवाई माधोपुर वापस पाकर चमत्कार जी अतिशय क्षेत्र के दर्शन करना चाहिए। यह क्षेत्र वहाँ से दो मील है। इसमें एक विशाल मन्दिर और नशियां जी हैं । कहते हैं कि सम्वत् १६८६ में भ० आदिनाथ की स्फटिक मणि की प्रतिमा (६ इंच की) एक बगीचे में मिली थी। उस समय यहां केसर की वर्षा हूंई थी। इसी कारण यह स्थान चमत्कार जी कहलाता है। यहां से यात्रियों को जयपुर जाना चाहिये। जयपुर ... । जयपुर बहत रमणीक स्थान है और जैनियों का मुख्य केन्द्र है । यहाँ दि. जैन शिखरबन्द मंदिर ५२, चैत्यालय ६८ और १८ नशियाँ बस्ती के बाहर हैं । कई मंदिर प्राचीन, विशाल और . अत्यन्त सुन्दर हैं। बाबा दुलीचन्द जी का वृहद् शास्त्र भण्डार है . जन संस्कृत कालेज के कन्याशालादि संस्थायें भी हैं। जयपुर को राजा सवाई जयसिंह जी ने बसाया था। बसाने के समय राव कृपाराम जी (भावगी) दिल्ली दरबार में थे। उन्हीं की सलाह से यह शहर बसाया गया । यह अपने ढङ्ग का निराला शहर है। पहले यहाँ के राज दरबार में जैनियों का प्राबल्य था.। श्री श्रमर चन्द जी प्रादि कई महानुभाव यहां के दीवान हुए थे। प्रजिकल cho

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