Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 80
________________ - [७६ ] से २२ मील है। यहां लाखों रुपये की कीमत का दि० जैन मंदिर और मानस्तम्भ है। ये इतने ऊँचे हैं कि इनकी शिखिरें मीलों दूर से दिखाई पड़ती हैं। यहां १० दिगम्बर जैन मंदिर हैं। वहीं पर व० महती सागर के चरण चिह्न हैं, जो एक विद्वान् और महान धर्म प्रचारक थे। सं० १८८६ में उनका स्वंगवास इसी स्थान पर हुआ था। मराठी भाषा में रचे हुये उनके कई ग्रन्थ मिलते हैं। ___धारा शिव की गुफायें उस्मानाबाद जिले में येडसी (मध्य रेलवे स्टेशन के करीब दो मील दूर धारा शिव को गुफाये हैं। यहां पर पर्वत को काट कर गुफा मंदिर बनाये हैं, जिनकी संख्या नौ है और अति प्राचीन हैं । तेईसवें तीर्थङ्कर श्री पाश्वनाथ के तीर्थ में चम्पा के राजा करकण्डू यहां दर्शन करने आये थे। उन्होंने पुरातन गुफा-मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था, जिनको नील-महानील नामक विद्याघर राजामों ने बनवाया था। साथ ही दो एक नये गुफा मंदिर भी उन्होंने बनवाये थे, वस्तुतः यह गुफा मंदिर बड़ी २ पुरानी ईटों व पत्थरों के ऐसे बने हुए हैं कि उनकी प्राचीनता स्वतः प्रगट होती है। इसमें भ० पार्श्वनाथ और भ० महावीर की अनूठी दर्शनीय प्रतिमा विराजमान हैं, जिनकी कला दर्शनीय प्राचीन हैं। पार्श्वनाथ स्वामी की प्रतिमा बालू की बनी हुई नौ फीट ऊँची पद्मासन है और उस पर रोगन हो रहा है। यहां की यह और अन्य मूर्तियां अनूठी कारीगरी की है। : बम्बई भारत का व्यापारिक और प्रौद्योगिक मुख्य नगर है। यहां हीराबाग धर्मशाला में ठहरना चाहिए। सेठ सुखानन्द धर्मशाला भी निकट ही हैं । हीराबाग की धर्मशाला स्व० दानवीर सेठ माणिकचन्द जी ने बनवाई थी। इसी धर्मशाला में श्री भा०

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