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बादामी-गुफामन्दिर स्टेशन से बादामी गाँव १।। मील है। दक्षिण वाली पहाड़ी पर ३ हिन्दू मंदिरों के अतिरिक्त दि० जैनियों का गुफामंदिर (नं०४) हैं। यह गुफामन्दिर सबसे ऊँचा हैं और इसमें चार दालान है। पहले दालानमें जिनेन्द्रदेव कीएक पद्मासन मूर्तिसिंहासनाधिष्ठित हैं। दूसरे दालान में चौबीसी प्रतिमा और पार्श्वनाथ जी की एक मुख्य मूर्ति और ८ बड़ी मूर्तियां हैं । इस दालान के सामने मेहराव दार स्तम्भ है जिन पर मूर्तियां अंकित हैं । तीसरे दालान में श्री बाहुबलिस्वामी की करीब ७ फीट ऊँची प्रतिमा दर्शनीय है। उसी के सम्मुख श्री पाश्वनाथ स्वामी की प्रतिमा ७ फीट ऊँची कायोत्सर्ग विराजमान है ! चौथी दालान में चौबीसी तथा सैकड़ों मूर्तियां हैं। मलप्रभा नदी के किनारे प्राचीन काल में कई जिन मन्दिर बने हुए थे। जिनके भग्यावशेष अब भी मौजूद है। बादामी पश्चिमी चालुक्य राजाओं की राजधानी थी, जिनमें से कई राजा जैनी थे। उन्होंने ही यह जिन मन्दिर बनवाये थे। यहाँ से मनमाड़ ज० जावे । इस मार्ग में बीजापुर भी पड़ता हैं ।
बीजापुर
बीजापुर एक प्राचीन स्थान है, जहां पर दि० जैनियों के च र मन्दिर हैं । मुसलमान राजाओं ने यहाँ के कई जिन मन्दिरों, मूर्तियों को तुड़बा कर चन्दा बावड़ी में फेंक दिया था। किले में मिली हुई जिनमूर्तियाँ 'बोलीगुम्बज' के संग्रहालय में रक्खी हुई हैं। यह गुम्बज बहुत बड़ा है और अद्भुत है। इसे मुहम्मद मादिलशाह ने बनवाया था। इसमें शब्द की प्रतिध्वनि पाश्चर्यजनक होती है। इसलिए इसका सार्थक नाम 'बोलीगुम्बज' (Dome of Speech) है। बीजापुर से दो मील दूर जमीन में गड़ा हुमा अति प्राचीन कला कौशल युक्त श्री पार्श्वनाथ जी का