Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 03 Author(s): Bhairodan Sethiya Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner View full book textPage 9
________________ डाक्टर बनारसीदास M. A. Ph. D. प्रोफेसर ओरियन्टल कालेज लाहोर। ' पुस्तक प्रथम भाग की शैली पर हैं। छः दर्शन तथा सात नय का स्वरूप सुन्दर रीति से वर्णन किया गया है। बोलसंग्रह एक प्रकार की फिलोसोफिकल डिक्सनरी है। जब सब भाग समाप्त हो जाय तो उनका एक जनरल इन्डेक्स पृथक छपना चाहिये जिससे संग्रह को उपयोग में लाने की सुविधा हो जाय । ता. २१-८४१ । पं० शोभाचन्द्रजी भारिल, न्यायतीर्थ। मुख्याध्यापक, श्री जैन गुरुकुल ब्यावर। 'श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह ' द्वितीय भाग प्राप्त हुआ । इस कृपा के लिए अतीव आभारी हैं। इस अपूर्व संग्रह को तैयार करने में पाप जो परिश्रम उठा रहे हैं वह सराहनीय तो है ही, साथ ही जैन सिद्धान्त के जिज्ञासुओं के लिए भाशीर्वाद रूप भी है | जिस में जैन सिद्धान्तशास्त्रों के सार का सम्पूर्ण रूप से समावेश हो सके ऐसे संग्रह की अत्यन्त प्रावश्यकता थी और उसकी पूर्ति प्राप श्रीमान् द्वारा हो रही है। अापके साहित्य प्रेम से तो मैं खूब परिचित हूँ, पर ज्यों ज्यों भापकी अवस्था बढ़ती जाती है त्यों त्यों साहित्य प्रेम भी बढ़ रहा है,यह जानकर मेरे प्रमोद का पार नहीं रहता। मेरा विश्वास है, बोल संगह के सब भाग मिल कर एक अनुपम और उपयोगी चीज़ तैयार होगी। श्री आत्मानन्द प्रकाश, भावनगर । . श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह (प्रथम भाग) संगहकर्ता भैरोदान सेठिया । प्रकाशक सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था बीकानेर । कीमत एक रुपया। मा ग्रन्थ मां ४२३ विषयों के जे चारे अनुयोग मां बचायेला छे ते प्राय: आगमगन्थों ना प्राधार पर लखायेला के अने सूत्रोनो सादतो पापी प्रामाणिक बना. वेल छ ।पछी प्रकारादि अनुक्रमणिका पण शुरुयात मां मापी जिज्ञासुमोना पठन पाठन मां सरल बनावेल छ। आवा गन्थों थी वाचको विविध विषय नुं ज्ञान मेलवी शके छे । मावो संगह उपयोगी मानीए छीए अने मनन पूर्वक वाँचवानी भलामण करीए छीए जे सुन्दर टाइप अने पाका बाईडींग थी तैयार करवा मां मावेल के। पुस्तक ३८ मु अंक ८ मो मार्च । विक्रम सं. १६६७ फाल्गुण ।Page Navigation
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