Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 31
________________ --- - -- -- ६१६ राजियाँ पाठ .. १३३ | ५९५ विभक्ति आठ :: १०५ ६०७ रुचक प्रदेश पाठ १२५ | ७४४ विमान दस ४२१ ६३७ रोग उत्पन्न होने के ६६९ विशुद्धि दस २५७ नौ स्थान २०५ | ७२३ विशेष दोष दस ४१० ६३२ विसम्भोग के नौ स्थान १७६ ७५८ लब्धि २३० ६३५ वेदनीय नोकषाय नौ २०३ ६२१ लोकस्थिति आठ १४८ ७५२ लोकस्थिति दस ४३६ ५९९ वेदों का अल्पबहुत्व १०९ ६१५ लोकान्तिक देव पाठ १३२ / ७.७ वेयावच्च दस ३८२ ६४५ लोकान्तिक देव नौ २१७ / ६१४ व्यन्तर देव पाठ १३० ७५६ वक्षस्कार दस (पश्चिम)४४९ ७१३ शब्द दस प्रकार का ३८८ ७५५ वक्षस्कार पर्वत (पूर्व) ४४९ ६९६ शस्त्र दस ३६४ ७६५ वचन के दस दोष ४४८ ५८४ शिक्षाशील के पाठ गुण ३८ ५९५ वचन विभक्ति १०५ ६२८ शील की नौवाड़ १७३ ६१२ वनस्पतिकाय १२९ ६९७ शुद्ध वागनुयोग ३६५ ७४५ वनस्पतिकाय बादर दस ४२२ | ७६३ शुभ कर्म बाँधने के ६१७ वर्गणाएँ आठ १३४ दस स्थान ४४४ ५८३ वर्जनीय दोष आठ ३८ ६६१ श्रमणधर्म दस २३३ ६१४ वाणव्यन्तर के पाठभेद १३० ६८४ श्रावक के लक्षण दस२९२ ७२२ वाद के दोष दस ४०६ ६८५ श्रावक दस २९४ ७३९ वायुकुमारों के अधिपति४१९ ६४३ श्रुतपाप नौ २१४ ६४७ वासुदेव नौ २१७ ६८६ श्रेणिक की दस रानियाँ ३३३ ६५० वासुदेवों के पूर्वभव के नाम २१८ ५८९ संकेत पच्चक्खाण के ६३० विगय नौ १७५ आठ प्रकार . ४२ ७०६ विगय दस ३८२ ] ७१४ संक्लेश दस ३८८ ६८२ विच्छिन्न बोल दस २९२ | ६१९ संख्या प्रमाण आठ १४१ ७३४ विद्युत् कुमारों के अधि.४१८ । ७२१ संख्यान दस ४०४

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