Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 20
________________ :१८: आठ प्रकार से १०९ | ६२२ अहिंसा भगवती की ६०० आयुर्वेद पाठ ११३ आठ उपमाएं १५० ६०१ योगांग पाठ ११४ | ६२३ संघ को पाठ उपमाएं १५६ ६०२ छद्मस्थ आठ बातें ६२४ भगवान महावीर के शासन ___नहीं देख सकता १२० में तीर्थङ्कर गोत्र बांधने वाले ६०३ चिच के पाठ दोष १२० जीव नौ १६३ ६०४ महाग्रह आठ १२१ | ६२५ भगवान महावीर के ६०५ महानिमित्त पाठ १२१ नौ गण १७१ ६०६ प्रयत्नादि के योग्य आठ | ६२६ मनःपर्ययज्ञान के लिये स्थान १२४ आवश्यक नौ बातें १७२ ६०७ रुचक प्रदेश पाठ १२५ | ६२७ पुण्य के नौ भेद १७२ ६०८ पृथ्वियाँ पाठ १२६ ६२८ ब्रह्मचर्यगुप्ति नौ १७३ ६०९ ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी के आठ ६२९ निम्विगई पच्चक्खाण नाम (ठा. सू. ६४८) १२६ | के नौ श्रागार १७४ ६१० त्रस पाठ १२७ | ६३० विगय नौ १७५ ६११ सूक्ष्म पाठ १२८ ३१ भिक्षा की नौ कोटियाँ ६१२ तृण वनस्पतिकाय आठ (आचाराङ्ग प्रथम श्रुतस्कन्ध (ठा. सू. ६१३) १२९ / | अध्ययन २ उ.५सू. ८८-८९)१७६ ६१३ गन्धर्व (वाणव्यन्तर) ६३२ संभोगीको विसंभोगी करने के पाठ भेद १२९ के नौ स्थान १७६ ६१४ व्यन्तर देव आठ ६३३ तत्त्व नौ (पृष्ठ २०१ पर दिये (ठा. सू. ६५४) १३० उववाई सू. १९, उत्तराध्ययन ६१५ लौकान्तिक देव पाठ १३२ अ.३० और भगवती श.२५ ६१६ कृष्ण राजियाँ पाठ १३३ उ. ७ के प्रमाण पृष्ठ १९६ के ६१७ वर्गणा पाठ १३४ अन्त में निर्जरा तप के लिए ६१८ पुद्गल परावर्तन पाठ १३६ समझने चाहिए १७७ ६१९ संख्याप्रमाण पाठ १४१, ६३४ काल के नौ भेद २०२ ६२० अनन्त श्राठ १४७ | ६३५ नोकषाय वेदनीय नौ २०३ ६२१ लोकस्थिति पाठ १४८ ६३६ आयुपरिणाम नौ २०४

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