Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 06
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 12
________________ (१०) क्रम विषय १० भेद-अभेद का स्पष्टीकरण २१० से २१२ तक ११ भेद-अभेद नौ बोलो द्वारा स्पष्टीकरण २१२ से २१६ तक ज्ञान वाला जोव है-निश्चय-व्यवहार १२ भेद-अभेद का विशेष स्पष्टीकरण २१६ से २२२ तक १३ निश्चय व्यवहार मोक्षमार्ग का स्पष्टता २२२ से २२६ तक चौथे-पांचवे-छठे मे निमित्ति-नैमित्तिक निश्चय-व्यवहार के विषय मे क्या बताया है १४ निश्चय-व्यवहार मोक्षमार्ग के नौ बोल २३० से २३३ तक १५. मुनिपने पर निश्चय-व्यवहार २३२ से २३६ तक १६. व्यवहारनय कार्यकारी कब ? २३६ से २४६ तक उदासीनता का क्या अर्थ है १७ मोक्षमार्ग पृष्ठ २५० से २५७ तक का विशेष २४६ से २६३ तक व्रत-शीलादि ससार का ही कारण है शुद्ध-अशुद्ध भावो मे हेय उपादेयपना उभयाभासी का निश्चय रत्नत्रय क्या है उभयाभासी का व्यवहार रत्नत्रय क्या है शभभावो के विषय मे कलश १०० से ११२ तक अवश्य जानने योग्य क्या है १८ एकान्त व्यवहाराभासी के ११ प्रश्नोत्तर २६३ से २६५ तक १६ उभयाभासी की प्रवृत्ति का विशेषपना २६५ से २८४ तक तीन प्रकार के निश्चय-व्यवहार क्या हैं २८४ पांच लब्धियाँ का प्रकरण सातवा २८६ से २६४ तक क्षयोपशम लब्धि क्या है ? विशुद्ध लब्धि क्या है ? देशना लब्धि क्या है ?

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