Book Title: Jain Satyaprakash 1938 02 SrNo 31
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७] સમીક્ષાશ્રમાવિષ્કરણ [२४७] छेदसूत्रथी प्राप्त जे मांसनो बाह्य उपयोग तेनो निषेध. अर्थात्-चोमासा सिवायना काळमां अत्यन्त अपवाद दशाए बाह्य परिभोगोने अर्थ कदाचिद मांसादि उपयोगमा लेवातां होय तो पण चोमासामां तो तेनो सर्वथा निषेध समजवो। टीकाकार महाराजन आ व्याख्यान पण मांसादिकनो निषेध ज करे छे, विधि तो कोई बतावतुं नथी । आ व्याख्यान पक्षमां ' वारंवार' अर्थ अने 'हट्ठाणं' वगेरे विशेषणो दुध, दहि, घी, गोळ अने तेलने आश्रीने समजवां. अने मध, माखण, मांस अने मदिराने आश्रीने केवळ निषेध समजवो. त्यारे अर्थ एवो थशे के १ यौवनवनमां विचरता रोगनिर्मुक्त बलिष्ठ देहवाळा चोमासु रहेल साधु साध्वीने वारंवार दुध, दहि, घी, गोळ अने तेल कल्पे नहि । २ चोमासु रहेला साधु साध्वीने बाह्य परिभोगने अर्थ पण मध, मांखण, मांस अने मदिरा कल्पे नहि । ___टीकाकारनी वचनप्तरितामा तरती बे तरीनुं निरीक्षण १ मांसना बाह्य उपयोगने माटे अपवाद होई शके छे । २ मांस बहारना उपयोगमां आवी शके छे । आ बे बाबतोनो आशाम्बर लेखक इन्कार करे छे, ज्यारे अमो एने मानीए छोए । प्रथम बाबतमां जणाववानुं जे अपवाद सिवायनो उत्सर्ग अने उत्सर्ग सिवायनो अपवाद होई शकतो नथी. “यावन्ति उत्सर्गपदानि तावन्त्येव अपवादपदानि, यावन्ति अपवादपदानि तावन्त्येव उत्सर्गपदानि.” । जेटलां उत्सर्गनां स्थान तेटलां ज अपवादनां स्थान छे, अने जेटलां अपवादनां स्थान तेटलां ज उत्सर्गनां स्थान छे. 'उत्सर्गापवादौ देहच्छायावन्मिथः संवलितौ' शरीर अने पडछायानी जेम उत्सर्ग अने अपवाद परस्पर गाढ संबन्ध धरावनारा छे. विशेषता ए छे के उत्सर्ग धोरी राजमार्ग छे त्यारे अपवाद कादाचित्क छींडी छे. कोई विकट प्रसंगे आ छींडी राजमार्ग करतां पण विशेष लाभदायक निवड़े छे. ए वात तो निर्विवाद छे के जगद्वत्सल परमात्मा महावीरदेवना शासननी वैजयन्ती हजारो वर्ष सुधी विजयवन्त रहेवानी छे. आ दीर्घकालनी विस्तीर्ण भूमिकामां केई केई जातनी विकट परिस्थितिओ उपस्थित थाय ए स्वाभाविक छे. आ विकट परिस्थितिमां पण संयम गुणनी यतना राखवी ए मुनिवरोर्नु अविस्मरणीय लक्ष्य छे. कालादिकना अप्रतिघ तरंगोनुं आंदोलन संसारना स्थिरतर भावोने पण अवनवा स्वरूपमां नचावे छे. कदाच एवी पण कोई ग्रथिल परिस्थिति केम न उपस्थित थाय के जेमां For Private And Personal Use Only

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