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दि० जैन समाज
अन्तर्गत जातियाँ
७८ ठगर बोगार
७६ ब्राह्मण जैन
८० नाई - जैन
८१ बढ़ई - जैन
८२ पोकरा - जैन
जैन समाजका ह्रास क्यों ?
कुल
संख्या
५३
७०४
दि० जैन समाज
अन्तर्गत जातियाँ
८२ सुकर जैन
८४ महेश्री जैन
८५ और कई भिन्न-भिन्न
कुल
संख्या
Ε
१६
४
३
२
४५०५८४
उक्त कोष्टकके श्रंक केवल दिगम्बर जैन सम्प्रदायकी उपजातियों और संख्याका दिग्दर्शन कराते हैं । दिगम्बर जैन समाजकी तरह श्वेताम्बर सम्प्रदाय में भी अनेक जाति-उपजातियाँ हैं । जिनके उल्लेखकी यहाँ श्रावश्यकता नहीं । कुल १२ लाखकी अल्पसंख्या वाले जैनसमाजमें यह सैकड़ों उपजातियाँ कोढ़ में खाजका काम देरही हैं। एक जाति दूसरी जातिसे रोटी-बेटी व्यवहार न करने के कारण निरन्तर घटती जारही है ।
जातियोंके नवदीक्षित जैन ७३
उक्त कोष्टकके अंक हमारी आँखोंमें उँगली डालकर बतला रहे हैं कि नाई, बढ़ई, पोकरा, सुकर, महेश्री और अन्य जातिके नवदीक्षित - जैनोंको छोड़कर दि०जैनसमाजमें ६४० तो ऐसे जैन कुलोत्पन्न स्त्री-पुरुष बालकोंकी : संख्या है जो १८ जातियोंमें विभक्त हैं, जिनकी जाति संख्या घटते घटते १०० से कम २०, ११, ८ तथा २ तक रह गई है । और ३८५६ ऐसे स्त्री पुरुष, बालकोंकी संख्या है जो १४ जातियों में विभक्त हैं । और जिनकी जाति-संख्या घटते घटते ५०० से भी कम १०० तक रह गई है ।
भला जिन जातियोंके व्यक्तियोंकी संख्या समस्त दुनिया में २,८,२०, ५०, १००, २०० रह गई हो, उन जातियोंके लड़के लड़कियोंका उसी