Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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तीसरा वक्षस्कार
चौथा वक्षस्कार
पाँचवाँ वक्षस्कार
छठा वक्षस्कार
सातवाँ वक्षस्कार
७. निरयावलिका
निरयावलिया
कम्पवाडं सिया
पुफिया
पुष्कचूला
वहिदा
१. उत्तराध्ययन
मूलसूत्रों की संख्या मूलसूत्रों का क्रम
प्रथम मूलसूत्र
विनय
परीषह
चतुरंगीय
असंस्कृत अकाममरणीय क्षुल्लक निर्मन्थीय
औरश्रीय
कापिलीय
नमिप्रव्रज्या
द्रुमपत्रक
बहुश्रुतपूजा
हरिकेशीय
चित्त-संभूतीय
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( 2 )
मूलसूत्र
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११९
१२४
१२४
१२५.
१२५
१२९-१३८
१२९
१३४
१३४
१३७
१३७
१४३ - १७०
૯૪૨
१४४
१४४
१४७
१४८
१४९
१४९
१५०
१५०
१५०
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१५६
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