Book Title: Jain Ramayana Purvarddha Author(s): Shuklchand Maharaj Publisher: Bhimsen Shah View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय वक्तव्य प्रिय पाठक गण! चिरप्रतीक्षा के पश्चात् रामायण का दूसरा संस्करण आपके हाथों तक पहुंच रहा है। सं० २०१० के चातुर्मास मे पंडित प्रवर मन्त्री मुनि श्री शुक्लचन्द्र जी ने अपनी शास्त्रीय असतवपों के साथ-साथ रामायण की ऐतिहासिक कथा का भी रस प्रवाहित किया। श्रोतृवर्ग से सर्वश्री ला. बोधराज जी (रावलपिण्डी वाले), ला० वृद्धिशाह जी, ला० बालमुकुन्द शाह जी, ला० रोचीशाह जी तथा ला० प्यारेलाल जी निरन्तर उपस्थित रहे । आप महानुभावो के मन मे रामायण का द्वितीय सस्करण निकालने की महती इच्छा जागृत हुई। आप लोगों ने स्वयं तथा अपने भाइयो से सहायता प्राप्त करके इस गुरुतर काये को सम्भाला। इसी प्रकार श्री किशनलाल गुप्ता मालिक कृष्णा हौजरी लाजपतनगर से भी अमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ। जिसके फलस्वरूप यह पुस्तक प्रस्तुत है। इसके लिये उपयुक्त महानुभावों के प्रति समाज सदा कृतज्ञ रहेगा। इसमे महाराज जी ने कुछ नवीन प्रकरण भी जोड़ दिये है, जैसे-परशुराम संवाद, अहिल्या प्रकरण आदि । आशा है इस अपूर्व रचना से समाज पूरा-पूरा लाभ उठायेगा। विनीत भीमसेनशाहPage Navigation
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