Book Title: Jain Prachin Purvacharyo Virachit Stavan Sangrah
Author(s): Motichand Rupchand Zaveri
Publisher: Motichand Rupchand Zaveri

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra शांतिना थना. ॥३॥ অ नंबर स्तवननुं नाम १९ श्री दशविध पच्चक्खाण स्तवन २० श्री उपधान विधिनुं स्तवन ...... .... .... ८३-८६ २१ श्री समवसरणनुं स्तवन २२ श्री कल्याणकनुं स्तवन .... ८६-८९ ८९-९१ www. २३ श्री संवत्सरी दाननुं स्तवन .... २४ श्री आदीश्वर भगवाननातेर भवनुं स्तवन २५ श्री गोडी पार्श्वनाथजीननुं स्तवन ९१-९४ ९५-१०३ २६ श्री सीमंधर स्वामी विनंति रूप स्तवन १लं १०३ - १०५ ..... १०५ - १०८ ....... १०८ - १११ | २७ श्री सिमन्धर स्वामीनुं स्तवन २ बीजुं २८ श्री सिमंधरजीन स्तवन ३ त्रीजुं २९ श्री अष्टमीनुं स्तवन ३० श्री समकित पच्चीशीनुं स्तवन ३१ श्री मौन एकादशीनुं स्तवन १ पहेलुं ३२ श्री रोहिणी तपनुं स्तवन ..... ११२-११३ ११४-११८ ११९-१२२ ..... १२२-१२५ .... .... .... www. www.kobahrth.org. .... पत्र. ७९-८१ ८१-८३ नंबर .... स्तवननुं नाम पत्र. ३३ श्री बीजनुं स्तवन १२६-१२७ ३४ श्री चोवीस जिनना-आंतरानुं स्तवन ..... १२७-१३० ३५ श्री शांतिनाथ स्तुति गर्भित चतुर्दश गुण स्थानक स्तवन ..... .... १३० - १३७ ३६ श्रीदश मताधिकारे वर्धमान जिन स्तवन १३७ - १४२ ३७ श्री विजय धर्मसूरि सिस्य रत्नविजयकृत वर्द्धमान तपनुं स्तवन .... १४३ - १४५ ३८ श्री कांतिविज्यजी कृत श्रीसौभाग्य पंचमी ५ स्तवन .... .... .... ५ पांचमुं १४५-१५३ ३९ श्री अर्बुदाचल उत्पत्ति चैत्यपरिपाटीनंं 0000 For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्तवन.... .... ..... १५३-१६० ४० श्री ज्ञान पंचमीनुं स्तवन ६-छटुं .... १६०-१६२ ४१ श्री पंडित उत्तमविजयजीकृत संयमश्रेणीनुं स्तवन अर्थे सहित .... १६३ - १८४ ... अनुक्रम. णिका ॥३॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 411