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१० / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड २
अ०८/ प्र०२ ९५. देवेन्द्रकीर्ति (१७७०) ९६. महेन्द्रकीर्ति (१७९२) ९७. क्षेमेन्द्रकीर्ति (१८१५) ९८. सुरेन्द्रकीर्ति (१८२२) ९९. सुखेन्द्रकीर्ति (१८५९) १००. नयनकीर्ति (१८७९) १०१. देवेन्द्रकीर्ति (१८८३) १०२. महेन्द्रकीर्ति (१९३८)
नागौर के भट्टारकों की नामावली १. रत्नकीर्ति (१५८१) २. भुवनकीर्ति (१५८६) ३. धर्मकीर्ति (१५९०) ४. विशालकीर्ति (१६०१) ५. लक्ष्मीचन्द्र
६. सहस्रकीर्ति नेमिचन्द्र
८. यशकीर्ति भुवनकीर्ति
१०. श्रीभूषण ११. धर्मचन्द्र
१२. देवेन्द्रकीर्ति अमरेन्द्रकीर्ति
१४. रत्नकीर्ति ज्ञानभूषण
१६. चन्द्रकीर्ति पद्मनन्दी
१८. सकलभूषण १९. सहस्रकीर्ति
२०. अनन्तकीर्ति २१. हर्षकीर्ति
२२. विद्याभूषण २३. हेमकीर्ति-ये आचार्य १९१० माघ शुक्ला द्वितीया सोमवार को पट्ट पर बैठे। इनके पश्चात् २४. क्षेमेन्द्रकीर्ति
२५. मुनीन्द्रकीर्ति २६. कनककीर्ति
"नन्दिसंघ की यह पट्टावलि वस्तुतः भट्टारकपरम्परा की मूल पट्टावली है। इस पट्टावली की क्रमसंख्या ३ पर उल्लिखित आचार्य माघनन्दी नन्दिसंघ के मूलपुरुष अथवा आचार्य थे। और उनके नन्दी-अन्त नाम के आधार पर इस संघ का नाम नन्दिसंघ प्रचलित हुआ। इस पट्टावली के सभी आचार्यों के लिये इसमें सात बार पट्टाधीश विशेषण और दो बार भट्टारक विशेषण का प्रयोग किया गया है। भट्टारकपरम्परा के बलात्कारगण की पट्टावली में भी इस परम्परा के भट्टारकों के पूर्णतः वे ही नाम
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