Book Title: Jain Muni Jivan ke Vidhi Vidhan Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 8
________________ !! शुभाशीर्वाद !! साध्वी श्री मोक्षरत्ना श्री जी आचारदिनकर का तीन भागों में अनुवाद कार्य कर रही हैं, यह जानकर प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। उनका यह कार्य वास्तव में सराहनीय है। इससे मूलग्रन्थ के विषयों की बहुत कुछ जानकारी गृहस्थों एवं मुनियों के लिए उपयोगी होगी। जिनशासन और जिनवाणी की सेवा का यह महत्त्वपूर्ण कार्य शीघ्र ही सम्पन्न हो एवं उपयोगी बने, ऐसी मेरी शुभकामना हैं। गच्छ हितेच्छु गच्छाधिपति कैलाशसागर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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