Book Title: Jain Jyotish Author(s): Shankar P Randive Publisher: Hirachand Nemchand Doshi Solapur View full book textPage 9
________________ (५) ऐसे अन्यमति मिध्यात्वी शास्त्रोंके आधार लेकर केई जैनीभाईने यात्रार्थ प्रयाण किया था । केई वर्षों पहले नातेपुते गांव के ( ता० माळशिरस जि. सोलापूर ) अंदाज पचीस तीस नैनी श्री सम्मेद शिखरनी के यात्रार्थ उत्तम सुमूहूर्त देखकर निकले थे. पीछे लौटते बखत सब बीमार होकर आये दो चार आदमी रेलमेंहि मर गये अर मकामें पोहोचने पर कुछ दिन पीछे और भी दो चार मर गये । शोला1 पुरके जैनी दसाहूमड तलकचंद हरीचंद प्रेमचंद गुजराथमें सिद्धक्षेत्र तारंगाजीके पहाडपर मंदिरनीकी प्रतिष्ठा करनेके लिये अन्यमति प्रख्यात ज्योतिषियों के पास सुमुहूर्त देखकर घरसे निकले थे परंतु उनके हाथसे वहां प्रतिष्ठा हुई नहीं, प्रतिष्ठा होनेके पहिले आठ दस दिन रास्तेमें मर गये । श्रीतीर्थक्षेत्र शत्रुंजय पालिठाणा में मंदिरप्रतिष्ठा करने के वास्ते शोलापुर से सेठ रावजी कस्तुरचंद अन्यमति प्रसिद्ध ज्योतियोंके पास सुमुहूर्त देखकर घर से निकले थे प्रतिष्ठाके समय भट्टारक गुणचंद्र और भट्टारक कनककीर्ति इनमें वहाँ झगडा हुवा सो पालीठाणाके फौजदारने मिटाया और सेठ रावजी कस्तुरचन्दका जवान पुत्र वहां ही मर गया । और भी शोलापुर के शेठ फत्तेचंद वस्ता गांधी केसरीयाजीके या - त्रार्थ जानेके समय अन्यमति प्रसिद्ध ज्योतिषियों के पास सुमुहूर्त देखकर - ही घरसे निकले थे। शोलापुर स्टेशनसे दो स्टेशनपर माढा गाँव है वहां अपने सगेसोयरे को मिलनेके वास्ते उतरे थे परन्तु वहां खूनके गुन्हे वे पकडे गये पोलिस उनको पूनेको लेगये वहां उनको जन्मकालापानीकी सजा हो गई भर भाखरको वहां ही उनका देहावसान होगया । पूनेके रा. बालगंगाधर तिलक बी. ए. एल. एल. बी. जिनकूं राजद्रोह के गुन्हे बाबद सजा हुई थी यह बात मि व्हालंटाइन चिरोलPage Navigation
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