Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 54
________________ ४२६ जैनहितैषी [भाग १३ आदिकी ब्याही ही गई होगी, और कुँआरोंकी हरण भी लगभग खंडेलवालोंके पूर्वोक्त दृष्टान्तके संख्या भी उतनी ही होगी जितनी कि लड़कि- ही समान है । सम्पादक महाशयको शायद यह योंकी कर्माके हिसाबसे रहनी चाहिए; अन्तर ध्यान ही नहीं रहा है, कि पद्मावती पुरवारोंके सिर्फ यह पड़ा होगा कि, अलीगढ़ आदिकी ओर सिवाय और और जातियोंके लोग भी निर्धन जो अधिक कुँआरे रहते थे, सो उनके बदले यहाँ और ग्रामोंमें रहनेवाले हैं, इस लिए वे पद्मावती मुरादाबाद जिलेमें अधिक हो गये होंगे। अभिप्राय पुरवारोंके साथ सम्बन्ध कर सकते हैं । नगरयह कि समग्र खण्डेलवाल जातिके लाभकी दृष्टिसे निवासियों और धनियोंके यहाँ इतने अधिक मुरादाबाद और अलीगढ़-दिल्लीवालोंका बेटी- लड़के नहीं होते हैं कि वे सारे ग्रामवासियोंकी व्यवहार बुरा नहीं कहा जा सकता। लड़कियोंको चट कर जायँगे और ग्रामवासी यदि इस प्रकारका सम्बन्ध बुरा समझा लड़कोंके लिए लड़कियाँ बचेंगी ही नहीं । जायगा, तब तो फिर जातियोंकी जो वर्तमान इसके सिवाय नगरनिवासियोंके यहाँ लड़कियाँ संख्या है उसमें और भी वृद्धि करनेकी आव- भी तो होती हैं। उनके लिए भी तो लड़के श्यकता होगी । ब्याहका क्षेत्र इससे भी अधिक चाहिएँ । यदि यह कहा जाय कि वे अपनी संकीर्ण कर देना लाभदायक सिद्ध होगा । फिर लड़कियाँ धनियोंको देंगे, तो फिर जितने धनितो मारवाड़के जो लोग अन्य प्रान्तोंमें बस गये योंके यहाँ धनियोंकी लड़कियाँ जायँगी, उतनी हैं और धनी होगये है उनके साथ मारवाडमें गरीबोंकी लड़कियाँ भी तो धनियों के यहाँ जानेसे रहनेवालोंको अपना भी ब्याह-सम्बन्ब बन्द कर बची रहेंगी। इसके सिवाय पद्मावती पुरवारोंके ही देना चाहिए। क्योंकि वे लोग मारवाड़में आ- पड़ोसमें रहनेवाली एक अग्रवाल जाति है । सुनते हैं कर लड़कियाँ ले तो जाते हैं, पर देते अपने इस जातिमें कन्याओंको वर नहीं मिलते। बीसों लड़आसपास रहनेवाले धनियोंको है । और इस कियाँ जीवनभर कुमारी रहती हैं। यदि पारस्परिक युक्ति के अनुयायी बनने के लिए तो इतना ही क्यों, सम्बन्ध जारी हो जायगा, तो ये लड़कियाँ प्रत्येक नगर और ग्रामवालोंको भी यह नियम पद्मावती पुरवारोंको ब्याही जायँगी । इसके बना लेना चाहिए कि वे दूसरे नगर और ग्राम- सिवाय यदि यह डर अनिवार्य ही हो, कि वालोंको अपनी लड़कियाँ न दें ! गरीब ग्रामवासियोंकी सारी लड़कियाँ छिन दिगम्बर जैनमें गुरुजीके उक्त लेख पर एक जायँगी और वे कुँआर रह जायेंगे तो इसके सम्पादकीय नोट भी था । उसमें कहा गया था लिए और उपाय भी तो किये जा सकते हैं । कि निर्धन और ग्रामनिवासिनी जैन जातियोंके अहमदाबादके श्वेताम्बर जैनोंकी एक धनिक लिए यह पारस्परिक बेटीव्यवहार विषतुल्य जाति काठियावाड़के ग्रामोंसे लड़कियाँ ले तो सिद्ध होगा और इसके लिए पद्मावती पुरवार आती थी; परन्तु देती नहीं थी। इस पर एक जातिका दृष्टान्त दिया था। लिखा था कि इस सज्जनने काठियाबाड़ियोंको चेताया और तब जातिके अधिकांश लोग ग्रामोंमें रहते हैं और उन्होंने यह नियम कर दिया कि अहमदाबादनिर्धन हैं । उनसे शहरवाले दूसरी जातिके लोग वालोंको उतनी ही लड़कियाँ दी जायँ, जितनी कि लड़कियाँ ले तो जायँगे; पर देंगे नहीं । क्यों कि उनकी अपने गाँवों में ब्याह कर लाई जाय। पद्मावती कोई भी नगरनिवासी अपनी लड़कीको ग्राममें पुरवार भी चाहें तो इसी प्रकारका एक नियम और निर्घनके यहाँ नहीं देना चाहता । यह उदा- बना सकते हैं, जिससे वे इस डरसे बचे रहें । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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