Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 92
________________ જી इस लि जैनहितैषी - कर घृतकी समान स्वच्छ बनाते हैं । फटे हुए तेल में तेलकी गंध नहीं रहती और सामान्य तेलकी अपेक्षा यह कुछ हलका भी हो जाता है, इस लिए घृतके बदले में व्यवहार किया जा सकता है । घृतके अभाव में मूँगफलीका तेल भी व्यवहार किया जा सकता है । मूँगफलीका तेल पौष्टिक है और इसमें वैसी तीक्ष्णता या उष्णता भी नहीं है । मूँगफली का तेल, खसखस और खरबूजोंकी गिरीके तेलसे अतिशय श्रेष्ठ है। बिनौलेका तेल अत्यंत पुष्टिकारक और जठराग्नि बलकी वृद्धि करता है । बिनौलेके तेल में भी मूँगफलकि तेलकी समान पौष्टिक तत्व अधिक है और यह मूँगफली की समान सस्ता पड़ता है। नारियलका तेल अत्यंत बल वीर्य्यवर्द्धक और पुष्टिकारक है । यह अन्य तेलोंकी अपेक्षा निर्दोष है और उग्रवीर्य भी नहीं है लिए इसका सब लोग मजे में व्यवहार कर • सकते हैं। कितने ही डाक्टर इसको कार्ड लिवर आयल के समान पौष्टिक और बलवर्द्धक मानते हैं। दाल, शाकादि व्यंजन और सब प्रकारके पकवान, मिठाई वगैरह पदार्थ इसके द्वारा अच्छे प्रकार तयार किये जा सकते हैं । यद्यपि नारियलके तेलों एक प्रकारकी नारियलकी कुछ गंध आती है, परन्तु वह उसके ताजे तयार किये हुए पदार्थोंमें नहीं आती । दुःख है कि यह तेल रोटी के साथ या दालमें डाल कर नहीं खाया । जा सकता । - ( वैद्यसे उद्धृत । ) ४ ब्रह्मचारीजी और पुनर्जम्मका सिद्धान्त । जैनामित्रमें ता० ८ अगस्तके जयाजी प्रतापसे एक पुनर्जन्म विस्तृत था उद्धृत की गई है जिसका संक्षिप्त सार यह है- " भिण्ड ( ग्वालियर ) से ७ मीलकी दूरी पर नुनहटा एक छोटासा गाँव है । वहाँके काशीराम पट Jain Education International [ भाग १३. वारीकी छोटेलाल ठाकुरसे शत्रुता हो गई । काशीरामने जमींदारीके कागजों में कुछ ऐसी लिखा पढ़ी कर दी थी जिससे छोटेलालको बहुत हानि पहुँची थी । एक दिन मौका पाकर छोटेलालने काशीरामका काम तमाम कर दिया और वह भाग गया । काशीराम घोड़ी पर सवार होकर कहींको जा रहा था । एकं पपिलके पेड़के पास पहुँचने पर छोटेलालने उसे गोली मारी, और जब वह नीचे गिर पड़ा, तब उसकी दाहिने हाथकी उँगलियाँ काट डालीं जिनकी सहायतासे लिखकर उसने उसे हानि पहुँचाई थी । ६ नवम्बर १९०८ को काशीराम मारा गया । इसके दो महीने और २५ दिनके बाद बीसलपुरा में जो नुनहटासे ६-७ कोस दूर हैमिहीलाल ब्राह्मणके सुखलाल नामका एक लड़का पैदा हुआ | इसके दाहिने हाथ छोटी उँगली आधी, अँगूठा एक चौथाई और बाकी उँगलियाँ बिलकुल नहीं हैं । छाती में एक गोली जैसा निशान है और वहाँकी कुछ हड्डियाँ भीतरकी ओरको मुँड़ी हुई हैं। जब यह लड़का तीन वर्षका हुआ और बोलने लगा, तब उसके बापने एक दिन पूछा कि विधाता क्या तेरी उँगलियोंको बनाना भूल गये ? उसने कहा कि नुनहटाके छोटेलाल ठाकुरने मेरी उँगलियाँ काटी थीं । मैं पहले जन्म में कायस्थ था और काशीराम मेरा नाम था । मैं घोड़ी पर सवार था, तब मुझे बन्दूक मारी थी और फिर मेरा हाथ काटा था। पीपल के पेड़के पास मेरी जान ली गई थी । इस समय यह लड़का ८- ९ वर्षका है | ग्वालियर स्टेटके किसी राजकर्मचारीने इस मामले की जाँच करके ये सब बातें प्रकाशित कराई हैं । उन्होंने लड़के मा बापके तथा दूसरे कई आदमियों के बयान लिये हैं और उन सबसे यह नतीजा निकाला हैं कि यह मामला बनावटी नहीं है। क्योंकि इस For Personal & Private Use Only → www.jainelibrary.org

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