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जैनहितैषी
[भाग १३
मिल रहा है। सो भी अधिक तनख्वाह नहीं लड़के उसे भयकी दृष्टि से देखते। उसके चबूतरे पर देनी पड़ेगी, इसे रख लेना ही उचित है । पैर रखनेका उन्हें साहस न पड़ता। इस दीनताके लेकिन पण्डितजीकी बातका उत्तर देना आव- बीचमें इतना बड़ा ऐश्वर्ययुक्त दृश्य उनके लिए श्यक था, अतः कहा-महाशय, सत्यवादी अत्यंत हृदयविदारक था। किसानोंकी यह मनुष्यको कितना ही कम वेतन दिया जावे दशा थी कि सामने आते हुए थरथर काँपते थे। किन्तु वह सत्यको न छोड़ेगा । और न अधिक चपरासी लोग उनसे ऐसा बर्ताव करते कि पशवेतन पानेसे बेईमान सच्चा बन सकता है। ओंके साथ भी वैसा नहीं होता है। सच्चाईका रुपयेसे कुछ सम्बन्ध नहीं । मैंने पहले ही दिन कई सौ किसानोंने पण्डितजीको ईमानदार कुली देखे हैं और बेईमान बड़े बड़े अनेक प्रकारके पदार्थ भेंटके रूपमें उपस्थित किये, धनाढ्य पुरुष । परन्तु अच्छा; आप एक सज्जन किन्तु जब वे सब लौटा दिये गये तो उन्हें बहुत पुरुष हैं । आप मेरे यहाँ प्रसन्नतापूर्वक रहिए। ही आश्चर्य हुआ । किसान प्रसन्न हुए किन्तु मैं आपको एक इलाकेका अधिकारी बना चपरासियोंका रक्त उबलने लगा । नाई व कहार दूंगा और आपका काम देखकर तरक्की भी खिदमतको आये, किन्तु लौटा दिये गये। कर दूंगा।
अहीरोंके घरोंसे दूधसे भरा हुआ एक मटका दुर्गानाथजीने २०) मासिक पर रहना स्वी- आया । वह भी वापस हुआ । तमोली एक डोली कार कर लिया । यहाँसे कोई ढाई मीलपर पान लाया, किन्तु वे भी स्वीकार न हुए । कई गाँवोंका एक इलाका चाँदपारके नामसे असामी आपसमें कहने लगे कि कोई धर्माविख्यात था । पण्डितजी इसी इलाकेके कारिन्दे त्मापुरुष आये हैं। परन्तु चपरासियोंको तो ये नियत हुए।
नई बातें असह्य हो गई । उन्होंने कहा-हुजूर, [२]
अगर आपको ये चीजें पसन्द न हों तो न पण्डित दुर्गानाथ चाँदपारके इलाकेमें पहुँचे लें मगर रस्मको तो न मिटावें। अगर कोई और अपने निवासस्थानको देखा, तो उन्होंने दूसरा आदमी यहाँ आवेगा तो उसे नये सिरेसे कुँवरसाहबके कथनको बिल्कुल सत्य पाया। यह रस्म बाँधनेमें कितनी दिक्कत होगी। यह यथार्थमें रियासतकी नौकरी सुख सम्पत्तिका सब सुनकर पंडित जीने केवल यही उत्तर दियाघर है । रहनेके लिए सुन्दर बंगला जिसके सिर पर पड़ेगा वह भुगत लेगा । मुझे है । जिसमें बहुमूल्य बिछौना बिछा हुआ इसकी चिन्ता करनेकी क्या आवश्यकता ? एक था, सैकड़ों बीघेकी सीर, कई नौकर चाकर, चपरासीने साहस बाँधकर कहा--इन असामिकितने ही चपरासी, सवारी के लिए एक सुन्दर योंको आप जितना गरीब समझते हैं उतने गरीब टाँगन, सुख और ठाट वाटके सामान उपस्थित। ये नहीं हैं। इनका ढंग ही ऐसा है ! भेग बनाये किन्तु इस प्रकारकी सजावट और विलास-युक्त रहते हैं। देखने में ऐसे सीधे सादे मानों बेसींगकी सामग्री देखकर उन्हें उतनी प्रसन्नता न हुई। गाय हैं, लेकिन सच मानिए इनमेंका एक क्यों कि इसी सजे हुए बंगलेके चारों ओर ऐक आदमी हाईकोरटका वकील है। ' किसानोंके झोंपड़े थे। फूसके घरों में मिट्टीके वर्त- चपरासियोंके इस वादविवादका प्रभाव पंडि. नोंके सिवा और सामान ही क्या था। वहाँके तजी पर कुछ न हुआ। उन्होंने प्रत्येक गृहस्थसे लोगों में वह बंगला कोटके नामसे विख्यात था। दयालुता. और भाईचारका आचरण करना
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