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"शुद्धि पत्रिका."
पृष्टः
लाटी
अशुद्ध लजा रपद शोक करनेकी
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शुद्ध लज्जास्पद शोक करने लायक यह पातही धर्म कार्य उ-कोतप्तत्रपू जैसा लगता है और मानपान करनेकी
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और
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२० २१ ३
पूत्र और आनन्द कामदेवतुल्य सुश्रावक समुदाय छोटे पुत्र भव्यजनही चलके परमकृपालु मिलता हुवेले भव्य शासनकी स्वछंदता મનુષ્યને नहि देना. सुज्ञजन
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भव्यजन चने परम मिलाता हुवले शासनको स्वछता मनुष्य नहि. देना सुझजन
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