Book Title: Jain Hitbodh
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana
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परानदा
१६८ १७६ १८८
परनिन्दा जगह
जग
self
तीर्थभूत
२०५ २१०
९ १९
तीर्थोकी बहुतसे જ્ઞાની
२१२
११
१९ ३
२१२ २१४ २१४ २१६ ૨૧૭
Seif तीर्थ, भूत तीर्थीका बहुसे ज्ञाननी वसे कंठित देवद्र०यसे सुस्वामी आर
कुंठित જ્ઞાનદ્રવ્ય સરવાણી
V
२१८
W
२१९
M
૨૨૨
છુઠી भुवाफिक Selfishness. श्रावकजनसे
or
मुवाकीक Seifishnes श्रावकजन नस्ससे खाविर
રરર २३४ २३५
१८
नस्समें
खातिर
१०
२४४ २४४
याग्य अन्दरको सुधारा
योग्य अन्दरका सुधारा
२५१
२१

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