Book Title: Jain Dharm ki Udarta Author(s): Parmeshthidas Jain Publisher: Johrimal Jain Saraf View full book textPage 8
________________ GARMATHEMATOGRAMMITTE दस्साओं का पूजाधिकार . लेखकपं० परमेष्ठीदासजी जैन न्यायतीर्थ, सूरत ARGREENPROCEDGAOTOGREST ३२ पृष्ठ का मूल्य एक आना GOSSISTARSOORATOPICESSIOGREENSHOGRAIGRATINGASSIP जिसमें पचाध्यायी, आदिपुराण, उत्तरपुराण, हरिवंशपुराण, पूजासार, गौतमचरित्र, धर्मसंग्रह, श्रावकाकाचार, आदि ग्रन्थों से उपरोक्त विषय को सप्रमाण सिद्ध किया है , साथ ही सहारनपुर वाले ट्रेक्ट का युक्ति पूर्ण उत्तर दिया है पुस्तक पढ़ने लायक है एक प्रति अवश्य मंगाले और यथेष्ट संख्या में वितीर्ण करें। एक प्रति मंगाने वालों को ) के टिकट भेजने चाहिये । १०० प्रति मंगाने वाले को ४ा) में मिलेंगी। SANGRESSINGERS FORES पुस्तक मिलने का पताजोहरीमल जैन सर्राफ दरीवा कलां, देहली। हु SERISRDIESTARSD TRA HRTY STATEPage Navigation
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