Book Title: Jain Dharm aur Vidhva Vivaha 02 Author(s): Savyasachi Publisher: Jain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi View full book textPage 6
________________ पृष्ठ पक्ति अशुद्ध १८२ २३ मूलाकार १८२ ૭ मुलापार १८३ ६ मूलापार १८५ ७ कुभि १८८ ५ आदि १६३ २०४ २०६ १ २११ १ व्याख्याम्यायः २१३ २० सुखावस्थैविमुक्ता २१४ १२ चिसका २२७ १२ सद्धा २२६ निरोग २२६ 8 निरोग १ १३ 15 व्यभिचार नहीं है श्रपतिरन्या प्रप्रोग शुद्ध मूलाचार मूलाचाग मुलाचार फुभि अनादि व्यभिचार भी नहीं है अपनिरभ्यां प्रयोग व्याख्यास्यामः सुखावम्वैर्विमुक्ता जिसका रुद्रा नीरोग नीरोगPage Navigation
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