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( २४ ) होवालो आमगे मत थापा भणी छल बल मांडौ छ। सा० सू० प्र० सुबगडांग, अ० १२, गा० ५.
(४२) साधुरौ माजा मारे धर्म श्रद्धे तिणने काम भोग में खूतो कह्यो, हिंसा रो बारणेवाली कह्यो। सा० सृ० प्र० आचारांग, अ० ६, उ० ४. .
(४३) साधु गै अाना बारे धर्म कहसी तिगारा तम ने नियम भृष्ट कथा, ने चूर्ख कहा। सा० सू० प्र० आचारांग, अ० २, उ. २.
(४४ ) आजा बारे धर्म कह पाना सांहि पाप कहे, ए दो बोल कोई जीव ने होजो सतौ । मा० सू० प्र० आचारांय, ० ५, उ० ६.
(४५) प्रवचन सुं विरुद्ध प्ररूपयेवाले ने भगवान् निन्हव कयो, निन्हबारो आचार छे। सा० सू० उववाई, प्र. १६,
(४६) राग द्वेष ने याष कह्यो । मा० म० उत्तचराध्ययन, अ० ३१, गा० ३.
(४७) कोई कोई इस कहे साता दियां साता होवे तिवारे श्री भगवान छव बोल प्ररूप्या-१ भारज मार्ग सु बेगलो, २ ममाधि माग सू न्यारो, ३ जैन धर्म रो हेलणा करगहार कहो, ४ थोड़ा सुखांचे का. रणे घणा सुरवां गे हारमाहार कयो, ५ अमोक्ष गे