Book Title: Jain Bhajan Sangraha 01
Author(s): Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
Publisher: Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra

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Page 166
________________ * अथ अल्पा बोहत * mr w+ २७ १ सर्व थोड़ा गर्भज मनुष्य । २ तेहथौ मनुष्यणौ २७ गुणो। . ३ , बादर तेज काय का पर्याप्ता असंख्यात गुणां । ४ , पांच अनुत्तरका देवता असंख्यात गुणां । ,, उपरला त्रिक का देवता संख्यात गुणां । ,, विचला त्रिक का देवता संख्यात गुणां । .. नीचला विश का संख्यात गुगां । १२ मां देवलोकका संख्यात गुणां। ,, ११ मां देव लोकका संख्यात गुणां। १० , १० मां का सख्यात गुगां । ११ ,, ६ मां का संख्यात गुणां । १२ ., सातमी नरक का नैग्यिा असंख्यात गुणां । १३ ,, कट्ठी नारकी का नैरिया असंख्यात गुणां । १४ ,, आठमां देवलोकका देवता असंख्यात गुगणां । १५ ,, सातमां देवलोकका देवता असंख्यात गुणां । .. ५ मौ नारकौ का नैरिया असंख्यात गुणां । १७ ,, छट्ठा देवलोक का देवता असंख्यात गुणां । १८ ,, चोथो नारको का नैरिया असंख्यात गुणां ।

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