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( १४२ ) ३ सावध आज्ञा मांहि थी बाहर बाहर छ। ४ सावा चोर के साइनार चोर छ । ५ सावध रूपो के अरूपी अरूपो छ। ६ सावध कांडवा जोग के आदरवा जोग छांडवा
जोग छ। ७ सावद्य पुन्य, के पाप दोन नहीं, पुन्य, पाप
तो अजीव छै, सावद्य जीव है।
॥ लड़ी २४ चोवीसमी॥ १ निरवद्य जीव के अजीव जीव छ । २ निरवद्य सावद्य के निरवद्य निरवद्य है। ३ निरवद्य चोर के साहकार साहूकार छै। ४ निरवद्य आज्ञा मांहि के बाहर मांहि है। ५ निरवद्य रूपी के अरूपी अरूयौ छ। ६ निरवदा छांडवा जोग के पादरवा जोग आदरवा
जोग है। ७ निरवा धर्म के अधर्म धर्म है। ८ निरवा पुन्य के पाप पुन्य पाप दोनू नहीं; किणन्याय पुन्य पाप तो अजीव है, निरवदा जीव छ।