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४. काल -शाज्ञा मांहिके बाहिर दोनं नहीं कि
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न्याय अजीव है ।
५ पुद्गल आज्ञा मांहिके बाहिर दोन नहीं किणन्याय जीव है
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६ नौव आज्ञा मांहिके बाहिर दोनं है कि न्याय निर्वद्य करणी आज्ञा मांहि है सावा करणी 'आता बाहर के इणन्याय |
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॥छव द्रव्यपर लड़ी दशमी चोर साहूकारकी ।
१ धर्मास्ति काय चोर के साहूकार दोन नह किणन्याय चोर साहूकार तो जीव है एधर्माि 'काय अनीव है इगन्याय ।
२. अधर्मास्ति काय चोरके साहूकार दोन नहीं ११. अजीव के ।
आकाशास्ति काय चोरके साहूकार दोन नही
नीव है ।
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धाराओ
४ काल चोरके साहूकार दोन नहीं अजीव ५ पुद्गल चोर के साहूकार दोनू' नहीं अजीव छे नौव चोरके साहूकार, दोन है किणन्याय माठा परिणाम आसरौ चोर छै चोखा परिणा SME
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