________________
रान्त त्याग कर तथा पन्दरह कर्मादानको
मर्यादा उपरांत त्याग करे। ८ आठमा ब्रतके विषे श्रावक मर्यादा उपगंत
अनर्थ दण्ड का त्याग करे।। ६ नवमां ब्रतके विषै श्रावक सामायकको मर्याद
.
करे।
१० दशमां ब्रतके विषे श्रावक देसावगासो संवरको
मर्याद करे। ११ इगारम ब्रत में श्रावक पोषह करे। १२ बारमं व्रत श्रावक सुध साधु निग्रंथनें निर्दोष
__ आहार पाणी आदि चवदे प्रकार दान देवे । २३ ते बोलमें बोले साधुजीका पंच महाबूत १ पहिला महाव्रतमें साधुजी सर्वथा प्रकारे जीव
हिंसा कर नहीं करावे नहीं करताने भलो
जाणे नहीं मनसे बचनसे कायासे। . २ टूसरा महाव्रतमें सोधुजी सर्वथा प्रकार झूठ
बोले नहीं बोलावे नहीं बोलतां प्रते भलो जागणे
नहीं मनसे बचनसे कायासे । ३ तौजा महाव्रतमें साधुनी सर्वधा प्रकारे चोरी
करे नहीं करावे नहीं करतां प्रते भलो जागो