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दियो आय रे ॥ जी० ॥ ११ ॥ राय प्रदेशो क्षम्या पा घणौ रे, रह्यो न रूड़े धर्म में ध्यान रे। इसडी तो क्षमा साधु कर रे, तो सही पामै केवल ज्ञान र ।। जो० ॥ १२ ॥ तेरमा बेला ना छो पारणो के, आलोई निन्दी निशल्य थाय रे। काल अवसर मरण लची करौ रे, मो सूरियाभ देव हुवा छै जायर । जो
इति प्रदेशी राजा की सिंध समाप्त
कर