Book Title: Jain Agamo me Parmatmavada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 4
________________ धन्यवाद "जैनागमो मे परमात्मवाद" के प्रकाशन मे समस्त व्यय करने की उदारता श्रीमती गौरा देवी जी कर रही है। माता श्री गौरा देवी जी यह प्रकाशन अपने पूज्य पतिदेव स्वर्गीय लाला नौहरियामल जी जैन की पुण्यस्मृति मे करवा रही है। लाला नौहरियामल जी धार्मिक विचारो के व्यक्ति थे। लाला जी को यह धार्मिक भावना जैनधर्मदिवाकर,प्राचार्यसम्राट,पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज जी के सुशिष्य युगस्रष्टा श्रद्धेय श्री स्वामी खजानचन्द्र जी महाराज के परमानुग्रह से प्राप्त हुई थी। श्रद्धेय महाराज जी की कृपा से ही लाला जी को जैनधर्म की उपलब्धि हुई थी। उन्ही की कृपा से लाला जी सामायिक, नित्यनियम का सदा ध्यान रखा करते थे। धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक कार्यो मे अपने धन का सदा उपयोग करते रहते थे । श्री रामप्रसाद जी, श्री गोवर्धनदास जी, श्री केदारनाथ जी, लाला जी के सुयोग्य पुत्र है । इन मे जो धार्मिकता तथा सामाजिकता दृष्टिगोचर हो रही है, वह सब लाला जी के पुण्य-प्रताप का ही मधुर फल है। ___माता श्री गौरा देवी जी बडी उदार प्रकृति की देवी है। धर्मध्यान की इन को अच्छी लग्न है। दानपुण्य मे सदा अपने धन का सदुपयोग करती रहती है । दो वर्ष हुए, योगनिष्ठ श्रद्धेय श्री स्वामी फूलचन्द्र जी महाराज द्वारा लिखे "नयवाद" का प्रकाशन इन्होने ही करवाया था। प्राचार्यसम्राट् पूज्य श्री

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