Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 738
________________ परिशिष्ट २ सन्दर्भ ग्रन्थ सूची आचारांग १ प्रथम श्रुतस्कन्ध-W. Schubring Leipzig 1910 जैन साहित्य संशोधक समिति, पूना सन् १९२४ २ नियुक्ति तथा शीलांक, जिनहंस व पार्श्वचन्द्र की टीकाओं के साथ---धनपतसिंह, कलकत्ता, वि. सं. १९३६ ३ नियुक्ति व शीलांक की टीका के साथ--आगमोदय समिति, सूरत, वि. सं. १९७२-१९७३ ४ अंग्रेजी अनुवाद-H. Jacobi, S. B. E. Series, Vol. 22, Oxford 1884 ५ मूल-H. Jacobi, Pali Text Society, London, 1882. ६ प्रथम श्रुतस्कन्ध का जर्मन अनुवाद----Worte Mahavira, Schubring Leipzig 1926 - ७ गुजराती अनुवाद-रवजीभाई देवराज, जैन प्रिटिंग प्रेस, अहमदाबाद, सन् १६०२ व १९०६ ८ गुजराती छायानुवाद-गोपालदास जीवाभाई पटेल, नवजीवन कार्यालय, अहमदाबाद, वि. सं. १६६२ ६ हिन्दी अनुवादसहित--अमोलकऋषि, हैदराबाद, वी. सं. २४४६ १० प्रथम श्रुतस्कन्ध का गुजराती अनुवाद----मुनि सौभाग्यचन्द्र, (संतबाल) महावीर साहित्य प्रकाशन मंदिर, अहमदाबाद १९३६ ११ संस्कृत व्याख्या व उसके हिन्दी-गुजराती अनुवाद के साथ-मुनि घासीलाल जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, सन् १९५७ ।। १२ हिन्दी छायानुवाद-गोपालदास जीवाभाई पटेल, श्वे. स्था. जैन कॉन्फेन्स, बम्बई, वि. सं. १९९४ १३ प्रथम श्रुतस्कन्ध का बंगाली अनुवाद-हीराकुमारी, जैन श्वे. तेरापन्थी महा सभा, कलकत्ता वि. सं. २००६ १४ मूल व गुजराती अनुवाद-श्रमणी विद्यापीठ, घाटकोपर १५ आयारो----मूल, अर्थ व टिप्पणियाँ, मुनि नथमल, जैन विश्वभारती, लाडन (राजस्थान) प्रकाशन तिथि वि. सं. २०३१

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